बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

धरती के कण कण में कोने कोने में

धरती के कण कण में कोने कोने में

अपना ही आनंद है फसलें बोने में

(1)

जिसने जो बोया वो उसने पाया है

किस्मत से ज्यादा कब किसने पाया है

क्या रखा है लोगो आंख भिगोने में

धरती के कण कण में कोने कोने में

(2)

जो मिल जाये उसको ही स्वीकार करो

इतना देने का उसका आभार करो

कमी नहीं करता वो लेने देने में

धरती के कण कण में कोने कोने में

(3)

कभी न कोई पाप करो

जीवन भर इंसाफ करो

उम्र गुजरती है पापों को धोने में

धरती के कण कण में कोने कोने में

(4)

यह बात सभी ने सच मानी

मेहनत ही ख्वाबों की रानी

क्या रक्खा है झूठे जादू टोने में

धरती के कण कण में कोने कोने में


3 टिप्‍पणियां:

  1. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
    ***************************************************

    "आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

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  2. पिंटू

    गीत का रंग अनूठा है..... तुमने इस रंग का चोला ठीक से ओढ़ना शुरू कर दिया है.... यह गीत विशाल फलक को समेटे है इसलिए इस गीत की उम्र ज्यादा है. चारो बंद अच्छे हैं मगर यह बंद कुछ ख़ास है -----

    जो मिल जाये उसको ही स्वीकार करो

    इतना देने का उसका आभार करो

    कमी नहीं करता वो लेने देने में

    धरती के कण कण में कोने कोने में

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