धरती के कण कण में कोने कोने में
अपना ही आनंद है फसलें बोने में
(1)
जिसने जो बोया वो उसने पाया है
किस्मत से ज्यादा कब किसने पाया है
क्या रखा है लोगो आंख भिगोने में
धरती के कण कण में कोने कोने में
(2)
जो मिल जाये उसको ही स्वीकार करो
कमी नहीं करता वो लेने देने में
धरती के कण कण में कोने कोने में
(3)
कभी न कोई पाप करो
उम्र गुजरती है पापों को धोने में
धरती के कण कण में कोने कोने में
(4)
यह बात सभी ने सच मानी
मेहनत ही ख्वाबों की रानी
क्या रक्खा है झूठे जादू टोने में
धरती के कण कण में कोने कोने में