मंगलवार, 15 नवंबर 2011

दर्द का अब अहसास न दे

दर्द का अब अहसास न दे

अब कोई आबाज़ न दे

जिनकी कुछ बुनियाद नहीं है

ऐसा कोई ख्वाब न दे


दर्द की आहें और निकलती

इस सूखे बंज़र मन से

दबा के पेट से भीगा कपडा

भाग्य लपेटा है तन से


तिनका तिनका ख्वाव जलाकर

राख समेटे हाथों में

अब तक कितनी कशिश है

शाकी तेरी रुखी बातों में


ना जाने किस राह का में

भूला भटका राही हूँ

किसी कवि की अधूरी कविता

या फिर टूटा आइना हूँ


रफ्ता रफ्ता उमर बढ़ी

जीवन की चौखट सुखी है

नोटों से मुह भरा है लेकिन

दुनियां प्यार की भूखी है


जिधर भी मन का झोंका जाता

एक बीरानी सी छाई है

अहसासात के सूखे कुएं है

दिलों में गहरी खाई है


बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

धरती के कण कण में कोने कोने में

धरती के कण कण में कोने कोने में

अपना ही आनंद है फसलें बोने में

(1)

जिसने जो बोया वो उसने पाया है

किस्मत से ज्यादा कब किसने पाया है

क्या रखा है लोगो आंख भिगोने में

धरती के कण कण में कोने कोने में

(2)

जो मिल जाये उसको ही स्वीकार करो

इतना देने का उसका आभार करो

कमी नहीं करता वो लेने देने में

धरती के कण कण में कोने कोने में

(3)

कभी न कोई पाप करो

जीवन भर इंसाफ करो

उम्र गुजरती है पापों को धोने में

धरती के कण कण में कोने कोने में

(4)

यह बात सभी ने सच मानी

मेहनत ही ख्वाबों की रानी

क्या रक्खा है झूठे जादू टोने में

धरती के कण कण में कोने कोने में


शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

रंग लगे सब फीके

प्यार के रंग में ऐसी डूबी,

रंग लगे सब फीके |

प्यार में जीत के मै तो हारी,

हार के तुम हो जीते ||


मोहे पिया बिन चैन न आवे

कोई जाये उन्हें ढूंढ़ लावे

(1)

जा बैरन निदिया ना टूटी

किस्मत मेरी हमसे रूठी

चले गए परदेश सजनवा

प्रीत लगा कर झूठी

कोई उनका पता बतावे

कोई जाये उन्हें ढूंढ़ लावे

(2)

दरवाजे तुम बैरी मेरे

नहीं लगाये तुमने पहरे

जीवन भर जो दर्द करेंगे

घाव दिए है गहरे

कोई इस दिल को समझावे

कोई जाये उन्हें ढूंढ़ लावे

(3)

राहों तुमने भी ना रोका

जाते भी ना उनको देखा

किधर गये चितचोर सांवरिया

देकर हम को धोखा

मोहे रात को नीद ना आवे

कोई जाये उन्हें ढूंढ़ लावे


मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

सागर में पानी है जितना

प्यार करेंगे तुमको इतना

सागर में पानी है जितना

()

दिल के दरवाजे पर

दोगे दस्तक कब

लोग कहें पागल

दीवाना मुझको अब

मै तो चाहूँ दिल में तेरे घर अपना

सागर में पानी है जितना

()

दिन कट जाता है

मिलने की आस लिए

रात नहीं कटती

बिरहा का घूंट पिए

न जाने कब पूरा हो मेरा सपना

सागर में पानी है जितना

()

साँस साँस पर नाम

तुम्हारा रटते है

तेरे नाम से सजाते

और संवरते है

दिल चाहे तेरे चरणों में मिटना

सागर में पानी है जितना

मिलेंगे तुमसे एसे

ना हों दूर कभी

सागर में मिलती है

जैसे बिछड़ी नदी

तुम ना हमसे शर्मना

सागर में पानी है जितना


शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

हम ने सुना है ...........

m - हम ने सुना है ...........
लाखों
हजारों में तुमने हम को चुना है
हम
ने सुना है ...........!
F - सच है सच है बिलकुल सच है
हमने
चुना है ........
लाखों
हजारों तुम को ही हम ने चुना है
तू
है जो सब से अलग है
तू
है जो दुनियां से न्यारा
देखे
जहाँ में लाखों
तू
ही लगा सबसे प्यारा

m - एसा भी कोई नहीं है
कुछ
तो सभी में कमी है |
F - सच है सच है बिलकुल सच है
कमी
है ...कमी है ....
तेरे
जीवन में हमदम एक बस मेरी कमी है
मायूश
है देखो अम्बर
नदियों
भी तो नमी है |

m - थम लो बाहें आकार |
जैसे
मिले नदिया सागर ||

शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

मेरा सपना मुझे मिलगया..............

तुम जो मिले मुझको एसा लगा
मेरा सपना मुझे मिलगया.......
बात कहनी थी जो वो भी कह ना सके
चाँद घूँघट में जा छिप गया
तेरी आँखों में है मय की जादूगरी
उम्र भर मैंने तेरी परतिश करी
आए तुम जो लगा कि बहार आगई
मेरा खोया सजन मिलगया
मेरा सपना मुझे मिलगया ..........
तुम जो मिले मुझको एसा लगा
मेरा सपना मुझे मिलगया .........
फूलों से नाजुक है चेहरा तेरा
घिरती जुल्फों में उलझा है ये मन मेरा
ये हकीकत नहीं कोई सपना लगे
कोई हम दम मेरा बन गया ...
मेरा सपना मुझे मिलगया .........
तुम जो मिले मुझको एसा लगा
मेरा सपना मुझे मिलगया

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

मै जोगन बन गयी तेरी

मै तेरे प्यार मै इसी डूबी जैसे नदिया सागर
पागल हो कर झूमे दीवानी कोई बचाए आकर
मै जोगन बन गयी तेरी ....
तुम लीजो खबरिया मेरी ...
दुनियां लगने लगी अनजानी
लोग कहें सब मुझको दीवानी
ऐसी डूबी प्रेम के रंग मै
खो गयी सुध बुध मेरी
मै जोगन बन गयी तेरी
नीद आवे रात रात भर
काटूं दिन भी राह ताक कर
तेरे बिन कोई नज़र आवे
ऐसी प्रीत की डोरी
मै जोगन बन गयी तेरी
तुम लीजो खबरिया मेरी