बड़ा हुआ हैरान चाँद जब घर आया .
अपने पंखों को आंगन में फैलाया
चाहत को बांटा है तुमने सदियों से
खूब सुनी है तेरी कहानी परियों से
सब बच्चों की जुबां पे तेरा नाम है प्यारे
हर रिश्ते से तुमसे सरे रिश्ते न्यारे ,....................
बड़ा हुआ हैरान चाँद जब घर आया
बादल से खेली है तुमने आंख मिचोली
देखा बहुत चकोर मगर न सजी है डोली
कभी तो छोटे और कभी बड़े हो जाते हो
हमें हमारा बचपन याद दिलाते हो
बड़ा हुआ हैरान चाँद जब घर आया .................
अपने पंखों को आंगन में फैलाया
आपका ये अंदाज़ तो आज ही देखा .. ग़ज़ल के अलावा भी आप अच्छा लिखते हैं ...
जवाब देंहटाएंसब बच्चों की जुबां पे तेरा नाम है प्यारे
जवाब देंहटाएंहर रिश्ते से तुमसे सरे रिश्ते न्यारे.....
जी हाँ...आप कह सकते हैं यूँ भी....
चाँद-चान्नी
माँ नियारी
सभी को
लगती प्यारी
कानपुर में बातचीत हुयी और उसे तुरंत परवान भी चढ़ा दिया......इसे कहते हैं लगन......ग़ज़ल के बाद गीतों कीतरफ यह झुकाव बहुत ही मनभावन है......गीत तो हमारी आत्मा है........सुख हो या दुःख गीत ही हैं जो हमारी बी भावनाओं के रूप में बह निकलते हैं........"रौशनी" से शुरुआत करके "चंदा" तक पहुँचने का यह सिलसिला बड़ा ही प्यारा है.......मेरी सारी दुआएं साथ हैं.........ऐसे ही लिखो और संतुष्ट रहो........!
जवाब देंहटाएंaapki yah kavita bahut achhi lagi...
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