हम आये है तोहरे द्वार ओ राजा
लीजो खबरिया हमार.......................
बरसों से अँखियाँ है सूखीं
किस्मत जैसे हम से रूठी
करि- करि तुम्हारी याद - ओ राजा
लीजो खबरिया हमार ....................
जियरा मोरा एसे धडके
जल बिन मछली जैसे तडपे
ऑंखें गयीं पथराय ..... ओ राजा
लीजो खबरिया हमार ....................
तुम दुनियां में एसे उलझे
समझ के मोरा दर्द ना समझे
दिल से दियो बिसराय -ओ राजा
लीजो खबरिया हमार ....................
हम आये है तोहरे द्वार ओ राजा
लीजो खबरिया हमार.......................
तुम दुनियां में एसे उलझे
जवाब देंहटाएंसमझ के मोरा दर्द ना समझे
दिल से दियो बिसराय -ओ राजा
लीजो खबरिया हमार ....................
हम आये है तोहरे द्वार ओ राजा
लीजो खबरिया हमार.......................
गीत के पूरे तेवर मौजूद हैं पिंटू इस गीत में.....सावन की रिमझिम के बीच इस गीत को गुनगुनाने का आनंद उठा रहा हूँ.....विरह में डूबी नायिका की मनोभावना का बड़ा ही खूबसूरत वर्णन किया है तुमने.....हर एक "बंद" गहरी छाप छोड़ गया.....! लिखते रहो, गीतों में तुम्हारी अभिव्यक्ति बहुत ही प्रभावशाली है.....तुम्हारे इस गीत को सुनकर गुलज़ार के उस अद्भुत गीत की याद आ गयी जो लता जी ने लेकिन पिक्चर में गाया है, समय मिले तो तुम भी सुनना . गीत के बोल हैं 'सुनियो जी अरज म्हारी...."
मैं इस श्री सिंह से सहमत हूँ, वास्तव में इस गीत में संगीत से लयबद्ध होने के गुण हैं. उत्तम शब्द, उत्तम प्रयास.
जवाब देंहटाएंप्रेम पराग से लसित रचना .बधाई!!
जवाब देंहटाएंतुम दुनियां में एसे उलझे
जवाब देंहटाएंसमझ के मोरा दर्द ना समझे
दिल से दियो बिसराय -ओ राजा
लीजो खबरिया हमार ....................
हम आये है तोहरे द्वार ओ राजा
लीजो खबरिया हमार.......................
मन लुभावना गीत .....!!